Tuesday 8 November 2011

बाम्हन चिरई

छोटी सी मेरी बाम्हन चिरई
कितनी छोटी, फुर्तीली इतनी,
कि झट.पट टूंग लेती
पेट भर,,,,,
भात के सिथे दाने बिखरे
... फुदकती नाचती
पीढे के चौतरफ
ठीक तेरी ही तरह
मेरी प्यारी बेटी
तेरी दो ऊँगलियों की चुटकी
चििङया की चोंच से
कितनी मिलती जुलती है
जब भी मैं
थाली में बचा
भात़ .दाल. साग और एकाध मिर्च
सुवे के पिंजरे में
रख रहा होता हूं
प्यारी बेटी
तू इस तरह क्यूं देखती है
मुझे

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